Punarjagran Ke Karan, Effect Development In Various Fields

पुनर्जागरण 

यूरोप में पुनर्जागरण के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे।

Punarjagran Ke Karan, Effect Development In Various Fields

यूरोपीय देशों में 14 वीं शताब्दी में
के अंत के साथ, लोगों में चिंतन, चेतना, मानवतावादी दृष्टिकोण और तार्किकता आदि गुणों का विकास हुआ। उन्होंने सोचना शुरू किया। और अपने आप को धर्म से संबंधित आडंबर से बाहर निकालते हुए। अपने आपको मानवतावादी दृष्टिकोण में डालने की कोशिश की। यह एक प्रकार का बौद्धिक आंदोलन था। जो इटली से शुरू होकर 16 वीं शताब्दी तक पूरे यूरोप में प्रसारित हो गया। तथा पुनर्जागरण का काल 14 वीं शताब्दी से 17 वी शताब्दी के मध्य जाना जाता है। इटली रोमन साम्राज्य का मुख्य केंद्र भी था।

अंधकार युग

एक ऐसा युग जहां पर कहीं पर भी, आशावाद का कोई भाव नहीं था। वह सभी निराशावाद में जी रहे थे। इसे ही अंधकार युग कहा जाता है। तथा तीसरी शताब्दी में रोमन साम्राज्य पूर्वी व पश्चिमी रोमन साम्राज्य में विभाजित हो गया था। जिसमें पूर्वी रोमन साम्राज्य की राजधानी “कुस्तुनतुनिया” तथा पश्चिमी साम्राज्य की राजधानी “रोम” थी। तथा जर्मन आक्रमणों ने पांचवीं शताब्दी तक पूर्वी रोमन साम्राज्य को नष्ट कर दिया। इसी समय राजतंत्रों के पतन व सामंतवाद ने यूरोप में विकास को अवरुद्ध कर दिया। जिसे अंधकार युग के नाम से जाना जाता है। इस काल में व्यापार का पतन हुआ तथा यूरोप का विकास अवरुद्ध हो गया।

पुनर्जागरण का विकास 

15 वी शताब्दी में, जर्मनी के गुटेनबर्ग द्वारा प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किया गया। तथा बड़ी मात्रा में पत्र, पत्रिकाएं छपने लगी जिससे लोगों में ज्ञान का प्रचार प्रसार हुआ। वह लोगों में जिज्ञासा वैज्ञानिकता तथा तार्किकता के माध्यम से चेतन शक्ति का भी विकास होने लगा। और निरंकुश राजतंत्र की अवधारणा का विकास हुआ।

पुनर्जागरण के कारण 

यूरोप के निवासियों ने मध्यकाल की निर्जीव और मृतप्राय रोमन एवं यूनानी सभ्यता को पुनर्जीवित करने के जो प्रयास किये। उसे पुनर्जागरण कहते है। “पुनर्जागरण” शब्द का प्रयोग उन, सभी बौद्धिक परिवर्तनों के लिए किया जाता है। जो मध्य युग के अंत में तथा आधुनिक युग के प्रारंभ में हुए।

इससे अज्ञानता और अन्धविश्वास की जंजीरों में जकड़े हुए। मनुष्य को छुटकारा मिला और उसके जीवन में नए ज्ञान एवं नई चेतना का उदय हुआ। इसलिए पुनर्जागरण को मध्यकालीन पुराने विचारों के विरुद्ध एवं सांस्कृतिक एवं अहिंसक क्रांति की संज्ञा दी गयी। पुनर्जागरण के फलस्वरूप यूरोप में राज्य, राजनिति, धर्म, न्याय, साहित्य, दर्शन आदि के क्षेत्र में बहुत अधिक परिवर्तन तथा सुधार हुए।

धर्मयुद्ध (क्रूसेड) के फलस्वरुप चर्च व पोप की प्रतिष्ठा में कमी आई। तथा 1453 ईस्वी में कुस्तुनतुनिया पर तुर्की का आधिपत्य हो गया। 

मुद्रा अर्थव्यवस्था का प्रचलन भी हुआ। जिसने-जिसने व्यापार आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह अलग स्वतंत्र अस्तित्व के साथ व्यापारी वर्ग तथा बड़े शहरों का उदय भी हुआ। तथा प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार भी हुए। व ज्ञान विज्ञान की सामग्री कि सर्वसुलभता के साथ वैज्ञानिक व तकनीकी विकास भी होने लगा। साथ ही साथ भौगोलिक खोजों के फलस्वरुप नए व्यापार के रास्तों की भी खोज की गई।

  • यूरोप में पुनर्जागरण के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे।
  • धर्म युद्ध 

नवीन ज्ञान का मार्ग दिखाने में मध्यकाल में लड़े गए। धर्म-युद्धों ने विशेष भूमिका निभाई। यह धर्म युद्ध तुर्की से येरुसलम को स्वतंत्र कराने के लिए ईसाईयों ने लड़े। इन धर्म-युद्धों के कारण यूरोपवासी अन्य देशों की सभ्यता एवं संस्कृति के संपर्क में आए। और उनमें नवीन विचारों का उदय हुआ।

  • कुस्तुनतुनिया पर तुर्कों का अधिकार 

1453 ईस्वी में, तुर्की ने कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया। इससे यूरोप में पुनर्जागरण को बढ़ा बल मिला। तुर्कों के अत्याचार से डरकर बहुत सारे यूनानी ईसाईयों ने, यूरोप के विभिन्न भागों में शरण ली। इन लोगों ने यूरोप में जगह-जगह यूनानी सभ्यता का प्रचार किया। जिसका लोगों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा।

  • नवीन धार्मिक मान्यताओं का विकास 

यूरोप के लोगों में यह विश्वास उत्पन्न होने लगा कि स्वर्ग तथा नरक केवल रूढ़िवादी धर्म की कल्पनाएं है। जीवन का सच्चा सुख तो, केवल परिश्रम तथा स्वावलंबन से प्राप्त होता है। इन विचारों के प्रादुर्भाव से यूरोप वासियों को अंधविश्वासों से मुक्ति मिली। और वे नए तार्किक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने लगे।

  • छापेखाने का अविष्कार 

छापेखाने के अविष्कार से पुस्तकों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई। जिससे सामान्य जनता के लिए शिक्षा के द्वार खुल गए। शिक्षा के प्रसार से लोगों का ज्ञान बड़ा तथा उनकी तर्कशक्ति का विकास हुआ। फलस्वरूप यूरोप में नवीन विचारों का उदय हुआ।

  • अविष्कारों का प्रभाव 

यूरोप में विभिन्न वैज्ञानिकों ने नए-नए अविष्कार किए। न्यूटन तथा गैलीलियो जैसे वैज्ञानिकों के आविष्कारों के फलस्वरुप विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति आ गई। विभिन्न अविष्कारों के कारण प्राचीन-निरर्थक मान्यताओं का लोप होने लगा और लोगों में नवीन वैज्ञानिक दृष्टिकोण जागृत हो गया।

  • भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में परिवर्तन 

उन दिनों लेटिन सारे यूरोप की भाषा बनी हुई थी। इंग्लैंड के प्रसिद्ध साहित्यकार चासर ने, द केंटरबरी टेल्स पुस्तक की रचना की। तथा इटली के महान कवि दान्ते ने, इटली की भाषा में प्रसिद्ध ग्रंथ “डिवाइन कॉमेडी” की रचना की। इटली निवासी मैकियावली ने राज्य की नई कल्पना प्रस्तुत की। तथा जर्मन निवासी मार्टिन लूथर ने चर्च के विरुद्ध ग्रंथ लिखे। इन विभिन्न कवियों तथा लेखकों की कृतियों ने यूरोप में पुनर्जागरण को अत्यधिक प्रोत्साहित किया।

पुनर्जागरण के प्रभाव 

अंधविश्वास एवं रूढ़िवादी धर्म व्यवस्था की समाप्ति, सामंतवाद व पादरी वर्ग का अधोगमन एवं मानवतावादी दृष्टिकोण का विकास हुआ। साथ ही साथ साहित्य में देशी भाषाओं के प्रयोग में वृद्धि तथा फ्रांसीसी, स्पेनिश, इतालवी तथा अंग्रेजी भाषा में साहित्य की रचना हुई। तथा वैज्ञानिक एवं तार्किक बुद्धि का विकास, चित्रकला व वास्तुकला का विकास, साथ ही साथ औद्योगिक क्रांति के उदय की शुरुआत हुई।

पुनर्जागरण एक ऐसा आंदोलन था। जिसने एक नए युग का सूत्रपात किया। इसमें लोगो के दृष्टिकोण में निम्नलिखित परिवर्तन आये।

  • तार्किकता

यूनानी तथा रोमन संस्कृति के प्रभाव से ईसाई जगत में भी वैज्ञानिक व तार्किक दृष्टिकोण तथा वैज्ञानिक खोज की चेतना का प्रादुर्भाव हुआ। लोग अंधविश्वासी से मुक्त होने लगे।

  • मानवतावाद

विद्वान, दार्शनिक, कलाकार, आदि सभी मानवतावाद में रूचि लेने लगे। दिव्यता की अपेक्षा मानव के सम्मान के प्रति सभी की रूचि जाग्रत हुई।

  • शिक्षा का प्रसार

कला, विज्ञान, साहित्य सभी का एक ही लक्ष्य था। जीवन की सत्यता का ज्ञान।

  • खोज तथा आविष्कार

महान नाविकों की समुद्री यात्राओं तथा खोज यात्राओं ने नए तथा अज्ञात देशों की जानकारी दी।

  • ईसाई धर्मं का विभाजन

सुधार आंदोलनों ने ईसाई धर्मं को दो, सम्प्रदायों- रोमन कैथोलिक तथा पोटेस्टेण्ड में बाट दिया।

  • राष्ट्र- राज्यों का उदय

राष्ट्र-राज्यों के उदय से सामंती लाड्रो तथा पॉप का राजनिति में हस्तक्षेप बंद हो गया।

पुनर्जागरण के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में विकास


  1. कोपरनिकस (पोलैंड) का सिद्धांत है कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है।
  2. गैलीलियो ने दूरबीन का आविष्कार किया जिससे दूर स्थित तारों का अध्ययन आसान हुआ।
  3. सर आइज़क न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया है।
  4. 13 वे पोप ग्रेगरी ने इसी समय में ही, ग्रेगेरियन कैलेंडर का निर्माण किया।
  5. इटली के दांते ने, डिवाइन कॉमेडी नामक बुक का निर्माण किया अथवा रचना की।
  6. मैक्यावली ने, द प्रिंस बुक का निर्माण किया। जिसमें निरंकुश राजतंत्र के बारे में विस्तार से बताया गया है।
  7. रोजर बेकन ने सालामंज हाउस नामक बुक की रचना की।
  8. इरासमस (हालैंड)  ने द प्रेज ऑफ फाली नामक बुक का निर्माण किया जिसमें उन्होंने विभिन्न कुरतियों पर प्रहार किया है।
  9. शेक्सपियर द्वारा मानवीय गुणों का चित्रण किया गया है।
  10. थॉमस मूर इंग्लैंड के थे इन्होंने यूटोपिया नामक बुक की रचना की।
  11. लियोनार्डो द विंची एक महान चित्रकार थे। उन्होंने लास्ट सपर और मोनालिसा जैसी अनुपम कृतियों का निर्माण किया है।
  12. माइकल एंजेलो और राफेल भी इटली के महान चित्रकार वैज्ञानिक तथा शिल्पकार थे। 
  13. कोलंबस द्वारा महत्वपूर्ण भौगोलिक खोजें की गई।
  14. लोरेंजो गिवर्टी ने, चित्र शिल्पी के रूप में अपना काम किया।

 

अक्सर पूछें जाने वाले सवाल?

FAQ 1 : पुनर्जागरण से आप क्या समझते है ?

पुनर्जागरण का अर्थ है -पुनर्जन्म या अन्धकार से निकलकर ज्ञान का पुन: प्रसार।

FAQ 2 : दान्ते कौन था ?

दान्ते इटली का एक महान कवि था। जिसने डिवाइन कॉमेडी नामक ग्रन्थ की रचना की थी।

FAQ 3 : यूरोप में पुनर्जागरण के कोई दो प्रमुख कारण दीजिये ?

यूरोप में पुनर्जागरण के दो प्रमुख कारण निम्नलिखित थे- (१) भौगोलिक खोजे (२) वैज्ञानिक आविष्कार।

FAQ 4 : गैलीलियों और न्यूटन किस देश के निवासी थे ? विज्ञान के क्षेत्र में, उनका क्या योगदान था ?

गैलीलियों इटली का निवासी था। और दूरबीन का आविष्कार किया था। तथा न्यूटन जर्मनी का निवासी था। और उसने गुरुत्वाकर्षण के सिद्दांत की खोज की थी।

FAQ 5 : माइकल एंजेलों कौन था ? उसकी एक कृति का नाम बताइए ?

माइकल एंजेलों एक चित्रकार था। उसकी प्रसिद्ध कृति “द फाल ऑफ मैन” है।

Leave a Reply