Mere Jeevan Ka Lakshya Essay in Hindi :Jeevan Ka Lakshya Benefits

जीवन का लक्ष्य 

हर दिन एक विशिष्ट उद्देश्य और जुनून के साथ जीना

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Mere Jeevan Ka Lakshya Essay in Hindi :Jeevan Ka Lakshya Benefits
जीवन में एक लक्ष्य रखना आवश्यक है। ठीक उसी प्रकार जैसे एक जहाज को विशाल समुद्र में चलने के लिए पतवार की आवश्यकता होती है। स्पष्ट लक्ष्य के बिना हम खोया हुआ महसूस कर सकते हैं, अनिश्चित हो सकते हैं कि हम कहाँ जा रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से भी हमारी हमेशा से कुछ बनने की इच्छा रहती है। मेरा नाम सोहन है। मेरे गांव में डाॅक्टर न होने की वजह से अपने जीवन का लक्ष्य डाॅक्टर बनने का रखा है और इसके लिए मैंने पूरी तैयारी शुरू कर दी है। डाॅक्टर बनकर गांव वालों की सेवा करके अपने लक्ष्य को पाना मेरे लिए सुखद होगा।
प्रस्तावना 
              ऐसा माना जाता है की लक्ष्य न होना जीवन न होने के बराबर है। मनुष्य सहित ब्रह्मांड के सभी प्राणियों के पास विशिष्ट लक्ष्य हैं। मनुष्य को अपने जीवन का मार्ग चुनने का अधिकार प्राप्त है। मेरा नाम रोहन और मैंने छात्र जीवन के दौरान उद्देश्य निर्धारित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण समझा क्योंकि मुझे पता था कि लक्ष्य वाला व्यक्ति बिना लक्ष्य वाले व्यक्ति से बेहतर प्रदर्शन करता है। इसलिए हर किसी का एक जीवन लक्ष्य होना चाहिए।

जीवन का प्राथमिक उद्देश्य

एक व्यक्ति जीवन में विभिन्न मापदंडों को लागू करके अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर सकता है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं –
  • हर दिन एक विशिष्ट उद्देश्य और जुनून के साथ जीना।
  • दूसरों की मदद करके उनके लिए जीना।
  • एक महान पिता, माता, पुत्र या पुत्री बनना।
  • एक सफल उद्यमी और व्यवसायी बनने के लिए।
  • स्वस्थ, सक्रिय और फिट जीवन जीने के लिए।
  • जीवन में वित्तीय स्वतंत्रता के साथ जीना।
जीवन का लक्ष्य आनंद और शांति पाना है. जीवन को सफल बनाने की पहली सीढ़ी हमारे अंदर ही होती है. जीवन के कुछ और लक्ष्य ये रहे: 
  • अपने लक्ष्यों और रिश्तों में आनंद और संतुष्टि पाना ।
  • प्रियजनों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाना ।
  • ऐसी गतिविधियां और शौक अपनाना जो खुशी लाएं ।
  • ज्ञान की प्राप्ति करना ।
  • सत्य की समझ प्राप्त करना ।
  • अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित होना।
इंसान का एक अपना लक्ष्य होता है और एक व्यक्ति लक्ष्य होता है। आजीविका चलाने के लिए अलग-अलग व्यवसाय अपनाना व्यक्ति लक्ष्य है, जैसे डॉक्टर, कारपेंटर, इंजीनियर, चित्रकार, प्रोड्यूसर आदि बनना। लेकिन इसी को परम लक्ष्य मानने की ग़लती अक्सर इंसान से हो जाती है। इंसान का मूल लक्ष्य है मन को ‘अपना’ बनाना यानी अकंप (अ), प्रेमन (प), निर्मल (न) और आज्ञाकारी (आ) बनाना।

जो आप हक़ीक़त में हैं उसे जानना, जीवन का मूल लक्ष्य है। जिसके बारे में आज तक ज़्यादा कहीं बताया नहीं गया है। इसलिए शुरुआत में इस लक्ष्य को समझना थोड़ा कठिन लग सकता है।
‘जीवन का मूल लक्ष्य है स्वयं जीवन को जाने, जीवन अपनी वास्तविकता को प्राप्त होें, स्वअनुभव करे’। यानी जीवन का लक्ष्य है वह स्वअनुभव प्राप्त करना, जिसे आज तक अलग-अलग नामों से जाना गया है, जैसे साक्षी, स्वसाक्षी, अल्लाह, ईश्वर, चैतन्य इत्यादि। वही ज़िंदा चैतन्य हमारे अंदर है, जिस वजह से हमारा शरीर चल रहा है, बोल रहा है, देख रहा है, अलग-अलग तरह की अभिव्यक्ति कर रहा है वरना शरीर तो केवल शव है। हमारे अंदर जो शिव है, वही ज़िंदा तत्व जीवन है, जिसे पाने को ही मानव जीवन का मूल लक्ष्य कहना चाहिए। जब इंसान के शरीर में जीवन अपनी वास्तविकता को प्राप्त होता है, तब उसे आत्मसाक्षात्कार कहते हैं।
1. तुलना दूसरो से ना करे: –
अगर आप अपनी तुलना किसी दुसरे से कर रहे है तो आप अपनी ही मुल्य घटा रहे है !अपनी तुलना कभी भी दुसरे से ना करे ! तुलना अपने साथ ही करे की हम किर तनाव का शिकार हो जाते है ,जो जिन्दगी में बहुत नुकसान पहुचाती है !
2. अपने आप को फिट रखे: –
स्वासथ्य ही धन है ,ये हमने बहुत बार सुना और सत्य भी है ! अगर हम सवस्थ ही नहीं है तो फिर एक अच्छी जिंदगी की तमना कैसे सोच सकते है! कमजोर आदमी तो अपनी जिन्दगी के आधे से ज्यादा टाइम डाक्टर के पास बिता देता है !और मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है ! अगर हम सवस्थ नहीं है तो किसी भी काम को पूरे मन और जोश से नहीं कर सकते है !
3. थोडा कुछ हटकर करें: –
अगर कोई किसी काम को कोई बार बार एक ही तरीके से करेगा तो वो बोर हो जाता है !और यही जिंदगी के साथ भी होता है! अगर हम जिन्दगी को एक ही तरीके से जियेंगे तो जीने का असली मज़ा नहीं आता है और हम बोर हो जायेंगे !उससे हटकर कोई अपनी पसंद का काम भी करें ,जो आपको ख़ुशी दे वो काम करें!
4. अपने आप को खुश रखें: –
अपनी पसंद को जानने से बेहतर है की हम अपने आप को जाने ! अगर कोई इन्सान खुद ही खुश नहीं है तो वो दुसरो को कैसे खुश रख सकता है अपने आप को खुश रखने के लिये अपने आप पे समय बिताये और अपने आप को समझे ,तभी हम एक खुशहाल जिंदगी जी सकते है
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि बिना उद्देश्य वाला व्यक्ति ऐसा होता है जैसे ऑक्सीजन बिना जीवन। इस दुनिया के सभी प्राणियों का एक ना एक विशिष्ट उद्देश्य होता है। हर मनुष्य का जीवन में सपना होता है कि वह कुछ बने और कुछ अलग करे। कोई डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई इंजीनियर, कोई वैज्ञानिक। लक्ष्य प्राप्ति हेतु मनुष्य जीवन में कई चुनौतियों को पार करता है और परिश्रम, सूझ -बुझ के साथ अपने मंज़िल पर पहुँचता है। उद्देश्यहीन व्यक्ति का इस दुनिया में कोई मोल नहीं है और ना ही कोई इज़्ज़त। उद्देश्य का अर्थ है इरादा जिसको पाने के लिए कोशिश करना। हर मनुष्य की अपनी आकांक्षाएं होती है।
ऐसा माध्यम है जिससे आप अपना ज्ञान दूसरो तक पहुंचा सकते है। ज्ञान बाटने से बढ़ता है। मैं विज्ञान विषय संबंधित पढ़ाई करना चाहती हूँ। इसके लिए अच्छे कॉलेजों में प्रवेश पाने हेतु मैं कड़ी मेहनत कर रही हूँ। मेरा सपना है कि जीव विज्ञान पर रिसर्च कर सकूँ। इसके लिए मेरे माता -पिता मुझे हमेशा प्रोत्साहित करते है और उनका आशीर्वाद बना रहा तो अवश्य मैं अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर पाऊँगी।
बिना उद्देश्य वाला व्यक्ति बिना पतवार के लक्ष्य जैसे होता है। इसका तात्पर्य है बिना पतवार के एक जहाज खतरे का सामना करता है। इस प्रकार के हालत में व्यक्ति ज़िन्दगी के रास्ते में लड़खड़ा जाता है।
जीवन का प्राथमिक उद्देश्य है कि लक्ष्य प्राप्ति के पूर्व मनुष्य को कई प्रकार के आपदाओं का सामना करना पड़ता है। अलग -अलग लोगों के विभिन्न लक्ष्य होते है। कुछ लोगों का रुझान संगीत, नृत्य, राजनीति इत्यादि क्षेत्र की तरफ होता है। प्रत्येक इंसान अपने झुकाव या रुझान के अनुसार अलग -अलग उद्देश्य को अपनाते है।

लक्ष्य निर्धारित करने से हमारा व्यवहार स्पष्ट हो सकता है

सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, लॉक का लक्ष्य-निर्धारण सिद्धांत हमारे व्यवहार के केंद्र में इरादों को रखता है (लॉक, 1968)। लक्ष्य निर्धारित करने का कार्य और उन्हें तैयार करने में हम जो विचार लगाते हैं, वह हमारा ध्यान हमारी आकांक्षाओं के कारण, कैसे और क्या पर केंद्रित करता है । इस प्रकार, वे हमें ध्यान केंद्रित करने के लिए कुछ देते हैं और हमारी प्रेरणा पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
बेशक, इस निष्कर्ष की सामान्यता की अपनी सीमाएं हैं – केवल लक्ष्य निर्धारित करने से वे कार्य नहीं होंगे जो हमें सफलता की ओर ले जाएंगे।
हम इस पर जल्द ही विचार करेंगे, लेकिन अभी के लिए, इतना कहना ही काफी है कि वे हमें कुछ करने के लिए प्रतिबद्ध करते हैं। करियर बदलना आसान नहीं हो सकता है, लेकिन स्वीकार करें कि यह आपका लक्ष्य है और आप कम से कम कुछ उचित कार्य चुनने में सक्षम होंगे (एजेन, 1991)।

 लक्ष्य फीडबैक की अनुमति

जब हम जानते हैं कि हम कहाँ पहुँचना चाहते हैं, तो हम यह आकलन कर सकते हैं कि हम अभी कहाँ हैं, और अनिवार्य रूप से, हम अपनी प्रगति का चार्ट बना सकते हैं। यह प्रतिक्रिया हमें अपने व्यवहार को तदनुसार समायोजित करने में मदद करती है (और जब यह पुरस्कृत प्रतिक्रिया होती है, तो हमारा मस्तिष्क डोपामाइन जारी करता है, जैसे ट्रेडवे एट अल., 2012)। 

लक्ष्य निर्धारण से खुशी बढ़ती है:

जब हमारे लक्ष्य हमारे मूल्यों पर आधारित होते हैं, तो वे सार्थक होते हैं। अर्थ, उद्देश्य और किसी ‘बड़ी’ चीज़ के लिए प्रयास करना सकारात्मक मनोविज्ञान में खुशी के सिद्धांत का एक प्रमुख तत्व है। 

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