राष्ट्रीय नदियां जोड़ो परियोजना:
ग्रामीण परिवारों को नल के माध्यम से पीने के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराना
![]() |
Providing drinking water connections through taps to rural families. |
पानी सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है और किसी विशेष क्षेत्र का विकास कुछ हद तक पानी की उपलब्धता पर निर्भर करता है नदिया मीठे पानी का सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा स्रोत है जिन क्षेत्रों में नदियां उपलब्ध है वे अधिक उपजाऊ और विकसित हैं इसीलिए भारत में नदी जोड़ो परियोजना शुरू की है और जोड़ने का उद्देश्य उन क्षेत्रों में पानी उपलब्ध कराना है जहां प्राकृतिक रूप से नदियों की पानी की पहुंच नहीं है यह अक्सर बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में बाढ़ की संभावना को कम करने में मदद करता है।
राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना
नदियों को आपस में जोड़ने से दो या दो से अधिक नदियों को जोड़कर एक कृत्रिम नेटवर्क बनाया जाता है तथा एक जलाशय का निर्माण किया जाता है जिससे उन क्षेत्रों में नदी का पानी उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी जहां यहां पहुंच योग्य नहीं है तथा उसे पानी का उपयोग किया जा सकेगा जो अन्यथा समुद्र में बह जाता है।
नदी जोड़ो परियोजना सिविल इंजीनियरिंग की एक प्रमुख परियोजना है जिसमें भारतीय नदियों को कई जलाशय और नहर की मदद से जोड़ा जाएगा यह परियोजना इंटर बेसिंग ट्रांसफर प्रकार की परियोजना के अंतर्गत आती है।
इंटरलॉकिंग का उद्देश्य
1. इससे बेहतर सिंचाई सुविधाओं को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
2. जलाशय और नहर के किसी नेटवर्क का उपयोग करके बार-बार बाढ़ आने की संभावना वाले क्षेत्रों में बाढ़ की संभावना को काम किया जा सकता है।
3. जिन क्षेत्रों में नदी का पानी उपलब्ध नहीं और पानी की कमी है उन्हें इस नेटवर्क का उपयोग करके पानी उपलब्ध कराया जा सकता है।
राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना के भाग
नदी जोड़ो परियोजना को तीन भागों में विभाजित किया गया है:
1. उत्तरी हिमालय की नदियों को
2. दक्षिणी प्रदीप में नदियों को जोड़ना
3. अंतराज्य नदियों को जोड़ना
नदी जोड़ो परियोजना के बारे में जरूरी जानकारी
1. इस परियोजना के तहत देश में 37 नदियों को जोड़ने के लिए 30 रिवर लिंक बनाने की योजना है।
2. इसके लिए 15000 किलोमीटर लंबी नहरे बनाने का प्रस्ताव है।
3. इस परियोजना का मकसद देश की पानी की जरूरत को पूरा करना है।
4. इससे देश में जल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना के लाभ और हानि
- सिंचाई
नदी जोड़ो परियोजना से जल की कमी वाले क्षेत्रों को जल उपलब्ध हो सकेगा तथा ऐसे क्षेत्रों में कृषि संभव हो सकेगी।
- बाढ़ की रोकथाम
जिन क्षेत्रों में अक्सर बाढ़ जैसी स्थिति रहती है उन्हें नदी जोड़ो परियोजना से लाभ मिल सकता है उन क्षेत्रों से अतिरिक्त पानी को निकाला जा सकता है और नदियों से दूर ले जाया जा सकता है ताकि अति प्रवाह और बाढ़ से बचा जा सके।
- सूखाग्रस्त क्षेत्र के लिए
जिन क्षेत्रों में अक्सर सूखा पड़ता है और पानी की कमी होती है वहां जल संयोजन का उद्देश्य बाढ़ प्रबंधन क्षेत्र से जल की निकासी उपलब्ध कराना।
1. नदी जोड़ो परियोजना के लिए कई बांधों और जलाशय का निर्माण करना होगा और जिस भूमि पर इनका निर्माण किया जाएगा वहां दलदली हो जाएगी और कृषि के लिए उपयुक्त नहीं रहेगी।
2. बांधों और जलाशय के निर्माण स्थल पर खाद्यान्न और कृषि उत्पादों की कमी हो जाएगी क्योंकि वहां क्षेत्र कृषि के लिए उपयुक्त नहीं रह जाएगा।
निष्कर्ष:
भारत एक विशाल देश है जिसकी भौगोलिक परिस्थितियों विविधता पूर्ण है राजस्थान और महाराष्ट्र की तरह भारत के कई राज्यों में कम बारिश होती है और पानी की कमी की समस्या का सामना करना पड़ता है उत्तरी भारत में अक्सर बाढ़ आती है इसीलिए राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी ने नदी जोड़ो परियोजना शुरू की नदियों को जोड़ने का उद्देश्य भारत में नदियों का एक नेटवर्क बनाना है ताकि भारत के राज्यों में पानी की कमी और सुख का समाधान किया जा सके।