Ajanta Ki Gufa Kahan Sthit Hai : Other info About Ajanta Caves

अजंता की गुफाएं:

अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र भारत में स्थित तकरीबन 29 चट्टानों को काटकर बना बौद्ध स्मारक गुफाएं जो द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व के हैं या बौद्ध धर्म से संबंधित चित्रण एवं शिल्पकार के उत्कृष्ट नमूने मिलते हैं उनके साथ ही सजीव चित्रण भी मिलते हैं गुफाएं अजंता नामक गांव के सन्निकट हुई स्थित है जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है अजंता गुफाएं सन 1983 से यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित है।
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Ajanta Ki Gufa Kahan Sthit Hai : Other info About Ajanta Caves
अजंता में पहले बौद्ध गुफा स्मारक दूसरी और पहली शताब्दी ईसा पूर्व की है गुप्त काल के दौरान मूल समूह में कई और समृद्ध रूप से सजी हुई गुफाएं जोड़ी गई अजंता की पेंटिंग और मूर्तियां जिन्हें बहुत धार्मिक कल के उत्कृष्ट कृतियां माना जाता है का कलात्मक प्रभाव काफी रहा है।

अजंता की गुफाओं के बारे में अन्य जानकारी

1. अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के अजंता गांव के पास स्थित है।
2. यह गुफाएं चट्टानों को काटकर बनाई गई है और इनमें बौद्ध धर्म से जुड़े चित्रण और शिल्पकार के बेहतरीन नमूने देखने को मिलते हैं।
3. अजंता की गुफाओं को साल 1983 से यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
4. इन गुफाओं का निर्माण सातवाहन और वाकाटक वंशी ने करवाया था।
5. अजंता की गुफाओं में बौद्ध पौराणिक कथाओं और लोक कथाओं के दृश्य दिखाए गए हैं।
6. अजंता की गुफाओं में चित्र बनाने के लिए दीवारों को खुरदुरा कर फिर उन पर गोबर पत्थर के चूड़े धान की भूसी वह अन्य वनस्पति व खनिज मिलाया जाता था।
7. अजंता की गुफाओं में कई झरने हैं जो नदी के अधिक होने पर गुफाओं के बाहर से सुनाई देते हैं।

क्षेत्र

गुफाएं एक घने जंगल से गिरी अश्व नाल जाकर घाटी में अजंता गांव से 3½ किलोमीटर दूर बनी है यहां गांव महाराष्ट्र के संभाजी नगर शहर से 106 किलोमीटर दूर बसा है इसका निकटतम कस्बा है जलगांव जो 60 किलोमीटर दूर है भूसा वाला 70 किलोमीटर दूर है इस घाटी की तलहटी में पहाड़ी धारा बगुर बहती है यहां कुल 29 गुफाएं हैं जो की नदी द्वारा निर्मित एक प्राप्त के दक्षिण में स्थित है इनकी नदी से ऊंचाई 35 से 110 फीट तक की है।
अजंता का मैथ जैसा समूह है जिसमें कई बिहार एवं चैती ग्रह है जो कि दो चरणों में बने हैं प्रथम चरण को गलती से हीनयान चरण कहा गया है जो कि बौद्ध धर्म के हीनयान मत से संबंधित है वास्तु ताहिनियां स्थितवीरवाद के लिए एक शब्द है जिसमें बुद्ध की मूर्ति रूप से कई निषेध नहीं है अजंता की गुफाओं की संख्या 9 10 12 13 15 को इस चरण में खोजा गया था इन खुदाईयों में बौद्ध को एस्टोपिया मठ रूप में दर्शित किया गया है।
दूसरे चरण की खुदाई लगभग तीन शताब्दियों की स्थिरता के बाद खोजी गई इस चरण को कभी भी गलत रूप में महायानचरण जो बौद्ध धर्म का दूसरा बड़ा धड़ा जो की कमतर कट्टर है एवं बुद्ध को सीधे गाय आदि रूप में चित्रों या शिल्पा में कई लोग इस चरण को वाकाटक चरण कहते हैं हाल के वर्षों में कुछ बहुमत के संकेत इसे पांचवीं शताब्दी में मानने लगे हैं वॉटर एम स्पिक एक अजंता विशेषज्ञ के अनुसार महायान गुफाएं 462 480 इस पर्व के बीच निर्मित हुई थी महायान चरण की गुफाएं संख्या-1,2,3,4,5,6,7,8,9,10, 11,12,13,14,15,16,17,18, 19,20,21,22,23,24,25,26,27,28,29. गुफा संख्या 8 को लंबे समय तक हिनायनचरण की गुफा समझ गया किंतु वर्तमान में तथ्यों के आधार पर इसे महायान घोषित किया गया है।

गुफा का पहला कदम

इस गुफा में अत्यंत विस्तृत नक्काशी कार्य किया गया है जिसमें कई उभरे हुए शिल्प भी है या बौद्ध के जीवन से संबंधित कई घटनाएं अंकित है साथ ही अनेक अलंकार और नमूने भी हैं इसका डव स्तंभ भी द्वारा मंडप जो 19वीं शताब्दी तक दृश्य था वहां अब लुप्त हो चुका है इस गुफा के आगे एक खुला स्थान था जिसके दोनों और खमबेदार गली आ रहे थे इसका स्तर अपेक्षाकृत ऊंचा था इसके द्वारा मंडप के दोनों और कोटिया है इसके अंत में खंभे दर प्रकोष्ठ हो की अनुपस्थिति बताती है कि यह मंडप अजंता के अंतिम चरण के साथ नहीं बना था जब भी खमबेदार प्रकोष्ठ एक नियमित अंग बन चुके थे यहां तीन द्वारा पथ है एक केंद्रीय व दो किनारे के इन द्वारा पदों के बीच दो वर्गाकार खिड़कियां तशी हुई है जिसे अंतस उज्ज्वलित होता था।
महाकक्ष की प्रत्येक दीवार लगभग 40 फीट लंबी और 20 फीट ऊंची है 12 स्तंभ अंदर एक वर्गाकार कॉल नेट बनाते हैं जो छत को सहारा देते हैं साथ ही दीवारों के साथ-साथ एक गलियारा सा बनाते हैं पीछे की दीवार पर एक गर्भ ग्रह अनुमति छावित राशि गई है जिसमें बुद्ध अपनी धर्म चक्र प्रवर्तन मुद्रा में बैठे दर्शाते हैं पीछे दीवार में चार-चार कमरे बने हैं या दीवारें चित्रकार से भरी है जो की संरक्षण की उत्तम व्यवस्था में है दर्शित दृश्य अधिकतर उपदेशों धार्मिक एवं अलंकरण के हैं उनके विषय जातक कथाओं कथाओं गौतम बुद्ध के जीवन आदि से संबंधित है।

दूसरी गुफा

पहले गुफा दूसरी गुफा की दीवारों छात्रों एवं स्तंभों पर संरक्षित अपने चित्रकार के लिए प्रसिद्ध है या अत्यंत ही सुंदर दिखती है एवं गुफा संख्या के लगभग समान ही दिखती है किंतु संरक्षण की कहीं बेहतर स्थिति में है।

द्वार मंडप 

सामने का पोर्च दोनों और स्तंभ से युक्त प्रकोष्ठों से युक्त है पूर्व में रिक्त छोड़ें स्थान पर बने कमरे आवश्यक होने पर बाद में स्थान की आवश्यकता होने पर बने क्योंकि बाद में आवाज की अधिक आवश्यकता बड़ी सभी बात की वाकाटक निर्माण में पोर्च के अंत में प्रकोष्ठ आवश्यक अंग बन गए इसकी छत और दीवार पर बने भित्ति चित्रों का पर्याप्त मात्रा में प्रशासन हुआ है इनमें बुद्ध के जन्म से पूर्व बौद्ध बौद्धिक तत्व रूप के अन्य जनों की कथाएं हैं पोर्च की पीछे की दीवार के बीच एक द्वारा पथ है जिससे महाकक्ष में प्रवेश होता है द्वार के दोनों और वर्गाकार चौड़ी खिड़कियां है जो प्रचुर प्रकाश उपलब्ध कराती हैं जिससे सुंदरता एवं समिति लाती है।

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