आत्मानिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई): आर्थिक स्वावलंबन की ओर एक कदम
भारत सरकार ने नवंबर 2020 में कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कम करने और रोजगार बढ़ाने के उद्देश्य से आत्मानिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) की शुरुआत की। इस योजना का मुख्य उद्देश्य संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का सृजन करना और नए कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना है। एबीआरवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक अभिन्न हिस्सा है।
![]() |
Atmanirbhar Bharat Rozgar Yojana (ABRY): A step towards economic self-reliance |
योजना का उद्देश्य
योजना का उद्देश्य
एबीआरवाई का उद्देश्य है:
1. रोजगार सृजन: कोविड-19 के कारण बेरोजगार हुए लोगों को संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्रदान करना।
2. सामाजिक सुरक्षा: कर्मचारियों को भविष्य निधि (पीएफ) के लाभ दिलाना।
3. आर्थिक प्रोत्साहन: नए कर्मचारियों की नियुक्ति करने वाले नियोक्ताओं को वित्तीय सहायता देना।
योजना का कार्यान्वयन
योजना का कार्यान्वयन
इस योजना के तहत सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के माध्यम से सब्सिडी प्रदान करने का प्रावधान किया है। इसके अंतर्गत:
1. नए कर्मचारियों के लिए योगदान:
- सरकार नए कर्मचारियों के लिए पहले दो वर्षों तक कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों के योगदान (24% वेतन) का भुगतान करेगी।
- यदि नियोक्ता के कर्मचारियों की संख्या 1000 से अधिक है, तो सरकार केवल कर्मचारी हिस्से (12%) का भुगतान करेगी।
2. योग्यता:
- वे कर्मचारी, जो 1 अक्टूबर 2020 से पहले EPFO में पंजीकृत नहीं थे और जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपए से कम है, इस योजना के पात्र हैं।
- 1 अक्टूबर 2020 से 30 जून 2021 के बीच नौकरी खोने वाले लोग भी इस योजना के तहत लाभ उठा सकते हैं।
मुख्य लाभ
मुख्य लाभ
1. नियोक्ताओं को प्रोत्साहन: इस योजना के तहत नए कर्मचारियों की भर्ती करने वाले नियोक्ताओं को सरकारी सहायता मिलती है, जिससे कंपनियों का आर्थिक बोझ कम होता है।
2. कर्मचारियों को लाभ: नए कर्मचारी EPFO के तहत आने वाले विभिन्न लाभों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि पेंशन और बीमा।
3. संगठित क्षेत्र का विस्तार: इस योजना ने संगठित क्षेत्र में अधिक कर्मचारियों को जोड़ने में मदद की है।
योजना के लिए पात्रता
योजना के लिए पात्रता
1. कर्मचारी पात्रता:
- नए कर्मचारी, जो 1 अक्टूबर 2020 से 30 जून 2021 के बीच नियुक्त किए गए हैं।
- मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम होना चाहिए।
2. नियोक्ता पात्रता:
- वे नियोक्ता जिनके पास EPFO में पंजीकरण है।
- 50 से कम कर्मचारियों वाले नियोक्ताओं को कम से कम 2 नए कर्मचारी नियुक्त करने होंगे।
- 50 से अधिक कर्मचारियों वाले नियोक्ताओं को कम से कम 5 नए कर्मचारी नियुक्त करने होंगे।
योजना का प्रभाव
योजना का प्रभाव
सरकार के अनुसार, एबीआरवाई ने लाखों नए रोजगार उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
1. रोजगार के आंकड़े:
- इस योजना के तहत लाखों कर्मचारियों को पीएफ की सुविधा दी गई।
- महामारी के दौरान संगठित क्षेत्र में रोजगार में सुधार देखा गया।
2. आर्थिक सुधार:
- व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान कर उत्पादन और सेवाओं में बढ़ोतरी हुई।
- नए कर्मचारियों को जोड़ने से रोजगार दर में वृद्धि हुई।
चुनौतियां
चुनौतियां
1. कम जागरूकता: कई छोटे और मझोले उद्योग इस योजना के लाभों से अज्ञात रहे।
2. संगठित-असंगठित क्षेत्र का अंतर: असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी इस योजना का लाभ नहीं ले सके।
3. लाभार्थियों की संख्या सीमित: 15,000 रुपये मासिक वेतन की सीमा ने कुछ कर्मचारियों को योजना के लाभ से वंचित किया।
योजना में सुधार के सुझाव
योजना में सुधार के सुझाव
1. जागरूकता अभियान: सरकार को छोटे और मझोले उद्यमों में इस योजना के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
2. असंगठित क्षेत्र का समावेश: असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को शामिल करने के लिए विशेष उपाय किए जाने चाहिए।
3. वेतन सीमा बढ़ाना: मासिक वेतन सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये करना चाहिए।
निष्कर्ष:
आत्मानिर्भर भारत रोजगार योजना ने महामारी के कठिन समय में रोजगार सृजन और संगठित क्षेत्र में विस्तार का काम किया है। हालांकि इसमें कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन यह एक सकारात्मक पहल है, जिसने लाखों लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया। सरकार की ओर से इसे अधिक प्रभावी और समावेशी बनाने के प्रयास भविष्य में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने में मदद करेंगे।
योजना का संदेश: “सभी के लिए रोजगार, आर्थिक स्वावलंबन की ओर एक मजबूत कदम।”