परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) योजना के लाभ, पात्रता
परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत किसानों के समूह को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा इस योजना के तहत 50 या उससे अधिक किस 50 एकड़ भूमि पर जैविक खेती करने के लिए एक समूह बनेंगे इस तरह 3 वर्षों के दौरान 10000 समूह बनाए जाएंगे वह जैविक खेती के तहत 5.0 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर करेंगे।
अन्य जानकारी
1. यह योजना साल 2015 में शुरू की गई थी।
2. यह योजना राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के तहत मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन का एक हिस्सा है।
3. इस योजना में केंद्र और राज्य सरकारी 60:40 के अनुपात में फंडिंग करती है।
4. उत्तर पूर्व और हिमाचली राज्यों में केंद्र की मदद 90: 10 के अनुपात में दी जाती है।
5. केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र की मदद 100% दी जाती है।
6. इस योजना के तहत जैविक खेती के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
7. इस योजना के तहत जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कोलेस्ट्रॉल दृष्टिकोण और पीसीएस प्रमाणीकरण का इस्तेमाल किया जाता है।
8. इस योजना के तहत जैविक उत्पादों की पैकिंग लेबलिंग और प्रिंटिंग के लिए भी मदद दी जाती है।
9. इस योजना के तहत जैविक मेले का आयोजन भी किया जाता है।
उद्देश्य
उद्देश्य
पारंपरिक कृषि विकास योजना का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल कम लागत वाली तकनीक को अपनाकर रसायनों और कीटनाशकों के अवशेषों से मुक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करना है जैविक खेती को बढ़ावा देने में पारंपरिक कृषि विकास योजना के प्रमुख क्षेत्र मैं शामिल है।
1. ग्रामीण युवाओं किसानों उपभोक्ताओं व्यापारियों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा देना।
2. जैविक खेती में नवीनतम तकनीकों का प्रसार करना।
3. भारत में सार्वजनिक कृषि अनुसंधान प्रणाली के विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग करना।
4. एक गांव में काम से कम एक समूह प्रदर्शन का आयोजन किया जाना।
योजना के लाभ
योजना के लाभ
1. प्रमाणिक जैविक खेती के माध्यम से वाणिज्यिक जैविक उत्पादन को बढ़ावा देना।
2. यह उत्पाद कीटनाशक अवशेष मुक्त होगा और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देगा।
3. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और व्यापारियों के लिए संभावित बाजार का सृजन होगा।
4. यह किसानों को इनपुट उत्पादन के लिए प्राकृतिक संसाधन जुटाना के लिए प्रेरित करेगा।
कार्यन्वयन
कार्यन्वयन
1. परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत किसानों के समूह को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
2. इस योजना के तहत 50 या उससे अधिक किस 50 एकड़ भूमि पर जैविक खेती करने के लिए एक समूह बनेंगे।
3. इस तरह 3 वर्षों के दौरान 10000 समूह बनाए जाएंगे जो जैविक खेती के तहत 5.0 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर करेंगे।
4. प्रमाणीकरण पर होने वाले वह के लिए किसानों पर कोई दायित्व नहीं होगा।
5. प्रत्येक किसान को बीच से लेकर फसल की कटाई और उपज को बाजार तक ले जाने के लिए 3 वर्षों में ₹20000 प्रति एकड़ प्रदान किए जाएंगे।
6. पारंपरिक संसाधनों का उपयोग करके जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा तथा जैविक उत्पादों को बाजार से जोड़ा जाएगा।
7. इससे किसानों को शामिल करके घरेलू उत्पादन और जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण में वृद्धि होगी।
पात्रता
पात्रता
1. इस योजना के लिए सभी किसान और संस्थान आवेदन कर सकते हैं।
2. 2 हेक्टेयर या दो हेक्टेयर से कम भूमि धारा किस भी इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
3. कोई भी किसान या संस्थान जिनके पास 2 हेक्टेयर से अधिक भूमि हुई वह इस योजना के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं।
आवेदन प्रक्रिया
आवेदन प्रक्रिया
परंपरागत कृषि विकास योजना के लिए आवेदन करने के लिए इच्छुक उम्मीदवारों को अपने-अपने राज्यों के क्षेत्रीय परिषदों से जुड़ना होगा इसके बाद राज्य की क्षेत्रीय परिषद वार्षिक कार्य योजना तैयार करती है और उसे कृषि एवं किसान विकास मंत्रालय को भेजती है इसके बाद क्षेत्रीय परिषदों को किसानों को लाभ पहुंचने के लिए आगे धनराशि जारी की जाती है।

Shimaela Beg
Author, Jan Seva Kendra Shujalpur, And Content Enthusiast
Passionate about [Popular Tidings, General Knowledge, Sarkari Yojana], with years of experience in [related field]. Loves to share knowledge and connect with readers.