राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना:
बाल श्रम को खत्म करना और बाल श्रमिकों के पुनर्वास पर ध्यान देना

राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना भारत सरकार की योजना है इसका मकसद बाल श्रम को खत्म करना और बाल श्रमिकों के पुनर्वास पर ध्यान देना है इस योजना के तहत 9 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को कम से हटकर विशेष प्रशिक्षण केंद्रो में रखा जाता है जहां उन्हें औपचारिक प्रणाली में मुख्य धारा में लाने से पहले ब्रिज एजुकेशन वेबसाइट प्रशिक्षण मध्य भोजन स्वास्थ्य देखभाल आदि प्रदान की जाती है सर्व शिक्षा अभियान के साथ घनिष्ठ समन्वय के माध्यम से 5 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों को औपचारिक प्रणाली से सीधे जोड़ा जाता है इसके अलावा बाल श्रम अधिनियम के प्रावधानों के प्रभावी परावर्तन और NCLP योजना के सुचारू क्रियान्वत को सुनिश्चित करने के लिए NCLP को बेहतर निगरानी और कार्यन्वित के माध्यम से सफल बनाने के लिए पेंसिल नामक एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है ताकि पारदर्शिता के साथ काम का समय पर निपटा सुनिश्चित किया जा सके।
इस योजना के तहत जिला परियोजना समितियां को सीधे धनराशि दी जाती है जो बदले में विशेष प्रशिक्षण केद्रो के संचालन के लिए गैर सरकारी संगठनों/ स्वैच्छिकएजेंसियों/ नागरिक समाज संगठनों आदि को धनराशि प्रदान करती है बाल श्रमिकों के लिए विशेष स्कूल खोले जाते हैं इन स्कूलों में बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ-साथ औपचारिक अनौपचारिक शिक्षा दी जाती है साथी उन्हेंपोषण और नियमित स्वास्थ्य परीक्षण भी दिया जाता है।
वर्ष 1988 में भारत सरकार ने भारत के 12 बाल श्रमिक स्थान में कामकाजी बच्चों के पुनर्वास के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना की शुरुआत की इस योजना का समय-समय पर विस्तार किया गया और वर्तमान में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना को 21 राज्यों के 314 जिलों में लागू किया गया है।
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना की खास बातें
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना की खास बातें:
1. यहां योजना राष्ट्रीय बाल श्रम नीति के तहत शुरू की गई है।
2. इस योजना के तहत जिला स्तर पर जिला परियोजना समितियां बनाई जाती हैं इनकी अध्यक्षता जिला कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट करते हैं।
3. इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा सीधे पंजीकृतNCLP जिला परियोजना समिति को धन दिया जाता है।
4. इस परियोजना को लागू करने के लिए राज्य जिला प्रशासन और नागरिक समाज के साथ मिलकर काम किया जाता है।
5. इस योजना का मकसद बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करना और परिवारों की आय बढ़ाने के लिए वैकल्पिक उपाय उपलब्ध कराना है।